हम मानव विज्ञान का क्या-क्या कर बैठे।
हर साधन में संशाधन का विनाश कर बैठे।
समस्या से परे सिर्फ समाधान को ढूंढे।
बिन जल चातक जैसा बेसहारा हो बैठे ॥१॥
लॉकडाउन मेरे लिए तो नयी सोच का माध्यम बना।
विश्वकल्याण में जीवन समर्पित पीडितों के लिए संवेदना ॥
धन्य है सब भारतवासी जो बने रक्षक देवस्वरूप।
धन्य है मेरी भारतमाता परिवेश को दिया नया स्वरूप ॥२॥
जिन्दगी कभी निराश न थी, शराफतों से उसे गले लगाएं।
प्रकृति माँ की गोद में क्षणभर तो अपना समय लगाएं॥
खुशी के आंसू से भी तन-मन, अधिक उष्ण, अति गंभीर।
कुछ तो कमी कभी न थी, फिर भी जीवन क्यों अधीर?॥३॥
जिस नदी में माँ को पाया, उस गंगा को रौंद दिया।
जिस मिट्टी से लिया अनाज, उसे तो कब से कब्र दिया॥
विकास के नाम विनाश को, किस प्रकार से न्यौता दिया।
कालापानी सा एकान्तवास, जीवन को कुछ अर्थ दिया॥४॥
अब ना धूल, ना कहीं धुंआ, खेत-बागान भी सदा प्रफुल्लित।
गंगा यमुना की बात छोड़ों, समुद्र तट भी प्रसन्नचित्त॥
शिल्प प्रतिष्ठान, उद्योग जगत, बस-रेल-जहाज कैसे शान्त।
कोरोना ग्रास ही इन्सा को, सिखा गया क्या इन्सानीयत॥५॥
परिवेश से प्रेम करें, नद-नदी तो सब अपने हैं।
प्रकृति से प्यार करें, जीव जन्तु इसके अपने हैं॥
दुखः के वक्त ये साथ हमारे, इसी बात को समझाएं।
परिजनों से दोस्ती जैसी, वैसे धरती को अपनाएं॥६॥
अब तो जाएगा कोरोना, खुल जाएंगे बन्धन सूत्र।
जीवन फिर से सिखलाएगा नैसर्गिक वातावरण-मन्त्र॥
आओ मिलाएं सब सुर, सबका हाथ, सबका मन।
अभी भी समय है देर नहीं, परिवेश का करें जतन॥७॥
वैद्य-पुलिस-शासन-प्रशासन कोरोना वीर कहलाते।
पर्यावरण का रक्षक बनें, स्वयं को रक्षावीर बनाते॥
एकान्तवास में कवि-चित्रकार, नवीन सोच से पुनः प्रबुद्ध।
किताबें बने, सिनेमा बनें, परिवेश के लिए हो समर्पित॥८॥
कोरोना लोकडाउन लाया, दिशाहीन गति जीवन लाया।
भूल समस्या सांसारिक सब प्रकृति शरण में बैठा पाया॥
है क्या जीवन? कैसे जीएं? यही बात संभवतः समझाया।
परों के लिए सोचने वाले, किसको-किसको अपनाया॥९॥
परमेश्वर की कृपा धरा में, पुनः संचरित नवजीवन।
प्रकृति प्रेमियों कागज बात, भूल में भी अब करो मनन॥
देश बचाओ, बचे सभ्यता, वसुधा बचे व प्राणिजगत।
नवोदय हो अस्तमित रवि, किरणे सदा हों दिव्य-अमृत॥१०॥
वेदों में निहित, चरक प्रणीत, शास्त्रोल्लिखित सार वर्णित।
आयुर्वेद, गीता, भगवत्-नीति-नियमों का हो पालन ॥
भूले बिसरे सनातनीय परम्परा, फिर बने सहारा।
जीवन बने मधुर, असीम परमत्व को करे मनन॥११॥
बाइबल-कुरान-गुरुग्रंथों से प्राप्त करें हम अमूल्य सुधा।
कोरोना-निरोधी अभियान, अब विश्वपटल में हो प्रतिष्ठा॥
सकल जीवन, चराचर हो, हो अथवा नद-वन-निर्झर।
अमृतवर्षा कण-कण में अधूरा जीवन बने मुखरित॥१२॥
हे करुणेश्वर! करो करुणा, हे मानवजाति! करो यह प्रण।
प्रयासरत हो सफल बनें, कोरोना व्याधि से मिले जीवन॥
आत्म-मंथन से राह ढूंढना नि:सार प्रयास, बेकार खोज।
करुणामय की अपार कृपा से विश्वगुरु फिर भारत आज॥१३॥
विकार मन में अस्थिरता कोरोना जैसी अराजकता।
गुरु-ज्ञान से विश्वबंधुता यह पाठ सिखाए कोरोना॥
जाति-धर्म-व वर्ण भूलकर विश्वनियन्ता शरण में जाएं।
संकटकाल का करें निवारण न प्रयास सार्थक रुक जाए॥१४॥
जीवन क्या है? संघर्ष क्या है?अधूरा संघर्ष बिना जीवन।
कोरोना एक ज्वलंत दृष्टांत, मिटेगी बाधा – मिटेगा बंधन॥
उगेगा सूरज संभावनाओं का, आत्मनिर्भर राष्ट्र का विश्वास।
शिथिल अस्तमित शुष्क-शून्यता प्राण-वाक् अन्नमय वास॥१५॥
Dr. Dhananjaya Bhanja, Life Member, WAVES, India & Sub-Editor, Vishwasya Vrutant Newspaper.
Dr.Bhanja’s Hindi poem on CORONA and it’s impactful changes in society is nice to read.Truely Covid-19 has devasted the earth.Yet we Indians can bring a normalcy and poetic effect is one way of many.
Congrats WAVES,Congrats BHANJAJI
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Extremely nice poem very appropriate according to the current situation
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This poem helps us to stop and look within and also that good times will return to our lives . Thanks to Dr Dhanajaya bhanja .🙏👌👌👌👌👌👌👌
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Wow! What a beautiful words , sir it really inspired me . Thank you sir 🙂
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Amazing
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Beautiful words
Beautifully expressed 👏
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Liked your poem very much sir. Thank you for posting it.
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Well said sir, A positive outlook on post covid era👌🤩😁
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Poem is very nice and helpful
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VERY NICE POEM JUST MAKES UNDERSTAND ABOUT THINGS BADLY HAPPENING IN 2020
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Very motivative
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Poem is nice and excellent work done. Well to do with the current situation 👍🏻👍🏻👌👌
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Amazing …sir. A positive vibe to face critical conditions..
A ray of hope that nothing is permanent..change is a part of life. So will life after corona.
Sir hats off to ur poetic thoughts.🙏🏻
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Excellent poem on covid-19 situation.
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Nicely expressed sir 🙏🏻.
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Wonderful poem…We can relate this poem to the current situation, and We have been in this situation from a long time. 🙌🙌🙌
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Very well written poem Sir… Hats off! 👏🏻
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बहुत अच्छी कविता है, यथार्थ वर्णन के साथ आशावाद को बल दिया है !
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True and great poem sir
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Very true.. creative… inspirational..it is worth for next generation to read & learn from it..
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Beautifully written poetry in this covid era.It has brought back people to their family roots and values Keep writing….
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(Comments received via Wats App)
Interesting observation. Dr. Dhananjay! congratulations!!
By – Dr. Shashi Tiwari
बहुत अच्छा, विश्लेषण….पूरी संवेदनाओं के साथ वर्णित है।
By – Mrs. Rekha Singh
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Very beautifully written by Dr Dhananjay Bhanj. Words collection are more effective.from the bottom to top a consistency between the line and expressive language.
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