सुश्री अनुजा सिन्हा एवं प्रो. बलराम सिंह
कुछ दिनों से एक चोरनी ने सारी दुनिया में उत्पात मचा रखा है.. यूं तो चोरों का डर हमेशा ही रहा है.. कितने ही चोर आए और दुनिया में बवाल मचाया..
हालांकि इस चोरनी को लोग कमज़ोर समझते हैं.. आधी ही जान होती है और दूसरों के सहारे जीवन जीती है.. पर इस चोरनी की कुछ ख़ासियतें हैं..

पहली ख़ासियत यह है कि ये आज तक के सभी चोरों का सरताज बन बैठी है.. वो ऐसे कि इसके सर पर जन्म से ही ताज सुशोभित है..
दूसरी ख़ासियत ये है कि यह भेस बदलने में माहिर है, जिसको पहचान पाना बड़ा ही मुश्किल है.. इसीलिए यह हमारी नज़रों से छुपते-छुपाते अपना काम कर जाती है..
इसकी तीसरी विशेषता भी इसको बाकी सभी चोरों से अलग करती है, वो ये कि यह चोरनी बड़ी ही फुर्तीली है.. हम जब तक कुछ समझें, तब तक यह चोरी कर जाती है.. और यह उतनी ही तेज़ी से लगातार चोरियाँ करती जा रही है…
इसकी चौथी विशेषता ये है कि यह लोगों के घरों में घुसकर उनको अपना नौकर बना लेती है, उन्हीं से अपने बच्चे पैदा करती है, और फिर उनका ही सबकुछ अपने बच्चों को खिला-पिलाकर उन्हें भूखों मार डालती है.. बड़ी ही पीड़ादायक मौत ! .. ये लोगों की हवा तक छीन लेती है.. सांस भी नहीं लेने देती ये चोरनी ! …
इसकी पाँचवीं ख़ासियत है कि ये किसी के घर में छुपकर बैठ जाती है, चोरी भी नहीं करती, बस कुछ बच्चे पैदा कर लेती है.. और फिर उसी व्यक्ति के ज़रिये उसके दोस्तों और रिश्तेदारों के यहाँ अपने बच्चों को घुसाकर कईयों को चुरा लेती है..
बड़ी नन्ही-सी है, भोली भी.. इसीलिए लोग परख नहीं पाते.. दूरबीन से भी नहीं दिखती.. लेकिन ये देखनी मा बउरहिया आवै पांचों पीर वाली चोरनी है..
यह चोरनी बहुत ख़तरनाक है और पूरी दुनिया में इसके खौफ़ ने लोगों की रातों की नींद दुश्वार कर दी है.. इस चोरनी को पकड़ने और खत्म करने की कोशिश सारी दुनिया में की जा रही है, लेकिन इसको बांधने या मारने की कोई तरकीब अभी तक निकाली नहीं जा सकी है.. और यदि एक-दो चोरनियों को मार भी दिया तो और पैदा हो जाएंगी.. जी हाँ, सही पढ़ा आपने .. रक्तबीज असुर का नाम तो आपने सुना ही होगा, यदि एक रक्तबीज मरता था, तो वैसे हजारों रक्तबीज पैदा हो जाते थे .. ठीक वैसे ही यह चोरनी भी लाखों की संख्या में उत्पन्न हो जाती है.. फिर जो भी इसे मारने या रोकने के चक्कर में इसके पास जाता है, उसी पर सवार हो जाती है, और बच्चे पैदा करने के लिए उसे अपना दास बना लेती है…

अब तक तो शायद आप इस चोरनी का नाम समझ गए होंगे, जी हाँ आप ठीक समझे.. इस शातिर चोरनी का नाम है ‘राजकुमारी कोरोना‘….. इसने हमारा जीना मुश्किल कर दिया है.. तो क्या इसको काबू में करने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता ?.. क्या इसका खात्मा कभी हो भी सकेगा ?..
यह बिलकुल संभव है और इसको वश में किया जा सकता है.. यदि कहीं समस्या है तो उसका समाधान भी प्रकृति ने, सृष्टि ने प्रदान किया है.. जब रक्तबीज जैसे असुर का अंत हो गया, तब ये कोरोना जैसी चोरनी की क्या बिसात ?.. वैसे है तो ये चांडालिनी, क्योंकि ये लोगों के डीएनए में घुस जाती है, और वहीं से अपना हुक्म चलाती है.. पूरी दुनिया में इसको पकड़कर ख़त्म करने की कवायद चल रही है, पर तब तक क्या यह चोरनी ऐसे ही चोरी करती रहेगी ?.. ये तो सीधे जान ही चुरा लेती है..
जैसाकि हमने कहा कि प्रकृति में हर समस्या का समाधान मौजूद है.. वह है हमारा वफ़ादार कुत्ता, जो ऐसे चोरों से बाखूबी निपट सकता है और इसके रहते किसी कोरोना चोरनी की क्या मजाल कि चोरी कर पाये .. यह पालतू स्वामिभक्त कुत्ता हममें से हर एक के पास है, जो ऐसे चोरों को चोरी करने का कोई अवसर नहीं देगा और उन्हें सबक भी सिखा सकता है.. ये धर्मराज युधिष्ठिर के कुत्ते की तरह सदा ही हमारा साथ देता है..

इसका नाम है इंटरफेरौन (Interferon) .. यह दिन-रात चौकन्ना रहकर हमारी सुरक्षा करता है.. और हमारे शरीर-रूपी घर को ऐसे भयंकर चोरों, जैसे सार्स, HIV, फ्लू से बचाता रहता है.. इंटरफेरौन न सिर्फ हमारी रक्षा करता है, बल्कि हमारे सुरक्षा घेरे को और भी ज़्यादा मज़बूत बनाता है.. लेकिन इसके लिए हमें हमारे इस स्वामिभक्त कुत्ते को भी और शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता होती है.. इसके लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन के साथ ही स्वस्थ जीवन-शैली अपनाने और आयुर्वेद को अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए ..
इस वफ़ादार कुत्ते को शक्तिशाली बनाने और सतर्क रखने में मसालों का बड़ा हाथ होता है.. इसके लिए काली मिर्च, दालचीनी, अदरक, तुलसी की पत्ती, कच्ची हल्दी, इलायची, लौंग, मुलेठी, गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान है.. इन्हीं से इसे तंदुरुस्त रखिए..
फिर तो कोई कोरोना हो या कोई भी चोर, सबको रोना पड़ेगा…
आइये, हम अपने अंदर के इंटरफेरौन कुत्ते को अपनी शक्ति के रूप में पालें, और कोरोना को कूड़े में डालें ..
सुश्री अनुजा सिन्हा एवं प्रो. बलराम सिंह*, Institute of Advanced Sciences, Dartmouth, MA, USA (*Fellow, Jawaharlal Nehru Institute of Advanced Study, JNU, New Delhi, India)
शानदार समझावन।भारतीयों के संस्कार अब भी गुलामी वाले हैं,बिना डंडे के कोई भी बात समझ नहीं आती।लाकडाउन जैसी स्थिति को भी मजाक बनाए घूम रहे हैं।मुसलमान कहता है कि समूह मे नमाज़ न पढ़ा तो शबाब नहीं मिलेगा।क्या कहा जाय।
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Indeed an interesting way to describe Corona and its impact.
Thanks for the remedy.
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Nice Article👍
आपके विचार सदैव नूतनता/नवोन्मेषता प्राप्त कराते हैं।
किन्तु कुछ जिज्ञासा है:-
1. कोरोना को चोरनी कहकर इसको “स्त्रीलिंग”कैसे आपने घोषित किया?
2. अगर यह चोरनी है, तो राजकुमारी कैसे?जैसा कि आपने कहा है-राजकुमारी चोरनी।
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आपके प्रश्न सर्वथा उचित हैं।
१. कोरोना को स्त्रीलिंग में प्रस्तुत करने का मुख्य कारण वैज्ञानिक है परंतु कुछ कलात्मक कारण भी है।
वैज्ञानिक कारण है कि जहां cells यानी कोशिकायें विभक्त हो कर नयी कोशिकायें बनाती हैं, उन्हें daughter cell या कि पुत्री कोशिकाएँ बोलते हैं, जो कि स्त्रीलिंग में है।
दूसरी बात है artistically महिला के रूप में दिखाने पाठकों को पढ़ने में रुचि अधिक जगती है।
तीसरा कारण जो दार्शनिक रूप से गहरा है, उसमें एक स्त्री ही एक स्त्री की रचना कर सकती, और करती है।इसलिए भी स्त्री के रूप में दिखाने से उस चरित्र और सटीक रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में स्त्री पूर्ण होती और पूर्ण को जन्म पर भी पूर्ण ही बचती है। इसलिए वो पूर्णामिदह पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते को सार्थक करता है।
२. क्योंकि कोरोना के शिर पर ताज है, कोरोना शब्द की उत्पत्ति crown से है। इसलिए उसे राजकुमारी की संज्ञा दी गयी। लोगों के जीवन चुराती है, इसलिए उसे चोरनी कहा है।
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अहो!
अच्छा विश्लेषण है।
धन्यवाद इस जिज्ञासा के समाधान हेतु।
किन्तु इस राजकुमारी ने विश्व को हिलाकर रख दिया है।
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